मित...
Wednesday, 7 November 2012
शेर २..
एक खता है,
तन्हाईसी है दिल में बैठी कही
एक बैचेनी ही, दबी दबी सी सहमी हुई
एक बात है, जो दिलने ठानी वोह बनी नहीं
एक बात जो जहन में रह गयी, जुबाँ पे नही
- रोहित
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