शायरी..
कभी ऐसा भी होगा, ऐसा न सोचा था कभी
मिलने की आस लगाये रहे थे बरसों से
वोह आस आसुओंमें बरस जायेगी, ऐसा न कभी सोचा था
सामने होकर भी अंजान बन पायें, ऐसा कभी न सिखा था
अगर ये भी सिख जातें, तो येह अंजानापन न होता था
इतने बुरे भी हम नहीं, ना हि तुम हो, येह जानते है हम
फिर भी इतने बुरे हम बन जायेंगे, इतना बुरा न तुम्हे सोचा था
एक बार पुछ लेते अपने दिल से, तो ऐसा जवाब न आता था
तुमने पत्थर है थामा सिनेमे, ऐसा दिल न हमने सोचा था
कभी ऐसा भी दिन आयेगा, ऐसा दिन न कभी सोचा था
- रोहित
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