Monday, 3 June 2013

तनहाई..


तनहाई......
तनहाई...........
दिल के रास्ते में कैसी ठोकर मैने खायी
टूटे ख्वाब सारे एक मायूसी हैं छायी
हर खुशी सो गयी, जिंदगी खो गयी
तुम को जो प्यार किया, मैने तो सजा में पायी
तनहाई, तनहाई....
मिलों हैं फैली हुई तनहाई




ख्वाब में देखा था एक आंचल मैने अपने हाथों में
अब टूटें सपनों के शीशे चुभते हैं इन आखों में
कल कोई था यही,
अब कोई भी नहीं.........
बन के नागिन जैसे हैं सांसों में लहरायी
तनहाई, तनहाई.....
पलकों पे कितने आंसू हैं लाई


क्यों ऐसी उम्मीद की मैने जो ऐसे नाकाम हुयी
दूर बनाई थी मंजिल तो रस्ते में ही शाम हुयी
अब कहा जाऊँ मैं, किसको समझाऊँ मैं
क्या मैने चाहा था और क्यों किस्मत में आयी
तनहाई, तनहाई.....
जैसे अंधेरों की हो गहराई



दिल के रास्ते में कैसी ठोकर मैने खायी
टूटे ख्वाब सारे एक मायूसी हैं छायी
हर खुशी सो गयी, जिंदगी खो गयी
तुम को जो प्यार किया, मैने तो सजा में पायी
तनहाई, तनहाई....
मिलों हैं फैली हुई तनहाई
तनहाई...............


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