Monday, 9 September 2013

वो इक सुबह..

जिस सुबह की खातिर युग-युग से
हम सब मर-मर के जीते हैं
जिस सुबह के अमृत की धुन में
हम ज़हर के प्याले पीते हैं
इन भूकी प्यासी रूहों पर
इक दिन तो करम फरमायेगी
वो सुबह कभी तो आएगी
वो सुबह कभी तो आएगी-

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